Tuesday, 15 November 2011

"Woh chehra"! - written on 11-7-1997 - 21:00 hrs!

कई चेहरे मिले रास्ते में,
हर चेहरे पर एक कहानी,
उन कई चेहरों में एक वोह चेहरा,
जो पढ़ रहा था मेरा चेहरा,

मेरे चेहरे का हर पन्ना,
उसके चेहरे के रंग जैसा,
मेरी कहानी के कई शब्द, 
दोहरा रहे थे उसकी कहानी,


उसकी कहानी के गीले सफे,
मेरे चेहरे को भिगो गए,
उसके चेहरे की खुसबू,
मेरी कहानी महका गयी,

मेरी कहानी में अब है,
वो भी एक चेहरा,
मेरे चेहरे के एक पन्ने का,
रंग हो गया है सुनेहरा,

कई चेहरे मिले रास्ते में,
हर चेहरे का था एक नाम,
उन कई चेहरों में, एक वोह चेहरा,
दोस्ती है उसका नाम!

(लिखा बहुत सालों पहले था, पर आज किसी एक दोस्त के लिए दोबारा यहाँ लिखा है!!)



  

3 comments:

  1. This is soo good Hiri... Well written.

    - Kishan

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  2. Just beautiful. Hope that friend for whom this has been written again, appreciates it as well.

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